chandrayaan-3 और रूस का luna 25 दोनों एक साथ चाँद पर होने वाला है धमाका हिल जायेगी दुनिया।

11 अगस्त को रूस भेज रहा है अपना अंतरिक्ष यान लूना-25 चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर जबकि भारत का चंद्रयान 3 दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला है दोनों एक ही तारीख 23 अगस्त को हो सकते हैं चांद पर लैंड, तो क्या दोनों में होने वाली है आपस में टक्कर? 


Luna 25 vs chandrayaan 3 hindi



Luna 25 vs chandrayaan 3 hindi


47 साल बाद पहली बार रूस चंद्रमा पर अपना मून मिशन भेज रहा है. नाम है लूना-25 (Luna-25). ये मिशन भारत के चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के करीब एक महीने बाद लॉन्च हो रहा है. चंद्रयान-3

14 जुलाई को लॉन्च किया गया था. चंद्रयान-3 को 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरना है. लेकिन रूस का लूना-25 की यात्रा जल्दी पूरी होगी. वह 11 अगस्त की सुबह करीब पौने पांच बजे लॉन्च होगा. 22 अगस्त को वह चंद्रमा की सतह पर पहुंच जाएगा. लूना-25 पांच दिन की चांद की यात्रा करके चंद्रमा के पास पहुंचेगा. फिर पांच से सात दिन वह चंद्रमा के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. इसके बाद दक्षिणी ध्रुव के पास तय किए गए तीन स्थानों में से किसी एक पर लैंड करेगा. 


चंद्रयान 3 चांद पर उतरने के बाद क्या करेगा?


चंद्रयान 3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित एक मानव चंद्रमा अन्वेषण मिशन है।ये मिशन चंद्रयान-2 की अगली कड़ी है, क्योंकि पिछला मिशन सफलता पूर्वक चांद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद अंतिम समय में मार्गदर्शन सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास में विफल हो गया था, सॉफ्ट लैन्डिंग का पुनः सफल प्रयास करने हेतु इस नए चंद्र मिशन को प्रस्तावित किया गया था।इसमें चंद्रयान-2 के समान एक लैंडर और एक रोवर होगा, लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं है क्योकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अभी भी चाँद पर सही सलामत मौजूद है,यह मिशन चंद्रयान कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह का अध्ययन करना और वैज्ञानिक अनुसंधान करना है।चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को 14 जुलाई, 2023 को दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, शार से( LVM3 M4 ) रॉकेट के माध्यम से चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। अंतरिक्ष यान वर्तमान में चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के उद्देश्य से कक्षा संचालन की एक श्रृंखला से गुजर रहा है और इसके दो चरण हैं, पहला पृथ्वी से जुड़ा चरण और दूसरा चंद्रमा से जुड़ा चरण। चंद्रयान 3 मिशन में करीब 600 करोड रुपए खर्च हुए हैं चंद्रयान-3 को चांद तक पहुंचने में करीब 42 दिन लगेंगे




चंद्रयान 3 वापस पृथ्वी पर कैसे आएगा?



Chandrayaan-3 ने 5 अगस्त को चांद की कक्षा में प्रवेश कर लिया है और यह 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी हिस्से पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा इसके बाद यह वहां पर 14 दिन तक खोजबीन करेगा।
अब सवाल यह है की chandrayaan-3 को वापस धरती पर कैसे लाया जाएगा?
आपको बता दे अभी तक सिर्फ चीन और अमेरिका ऐसे देश है जिन्होंने अपने अंतरिक्ष यान को चांद पर उतारा है और वापस धरती पर भी लेकर आए हैं तो चलिए जानते हैं किस तरह से यह दोनों देश अंतरिक्ष यान को धरती पर वापस लेकर आए थे-
54 वर्ष पहले अमेरिका ने इंसान को आंतरिक यान में बैठाकर चांद पर पहुंचाया था और वापस धरती पर भी सुरक्षित लेकर आया था जिसके लिए पहले अमेरिका के नासा ने यान में बैठा कर 3 लोगों को चाँद पर भेजा था जिसमें से 2 लोग चाँद पर उतर गए जिसमें नील आर्मस्ट्रांग सामिल थे उनके साथ गए तीसरे व्यक्ति चाँद की कक्षा में भ्रमण कर रहे कमांड मॉड्यूल कोलंबिया में बैठकर इन दोनों का इंतजार कर रहे थे फिर दोनों अंतरिक्ष यात्री चांद की सतह पर उतर वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रयोग करने के बाद वापस धरती पर आने के लिए स्पेसक्राफ्ट के लैंडर मॉड्यूल पर बैठ गए थे इस यान में दो इंजन लगे हुए थे एक ऐसेंट इंजन दूसरा डीसेंट इंजन, डीसेंट इंजन का काम अंतरिक्ष यान को नीचे उतरना था मतलब अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की सतह पर लैंड करना था जो कि अब पूरा हो चुका था,अब इस डिसेंट इंजन की कोई जरूरत नही थी इसलिए अंतरिक्ष यान के अंदर बैठे दोनों अंतरिक्ष यात्रियों ने डिसेंट इंजन को अलग करके चांद पर ही छोड़ दिया ताकि अंतरिक्ष यान का बजन कम हो जाए।


इसक बाद ऐसेंट इंजन को चालू किया इस इंजन का काम था यान को चाँद की सतह से उपर उठा कर चाँद की कक्षा मे लाना था जिसके बाद यान ने उड़ान भरके हल्के हल्के चाँद की कक्षा मे पहुँच गया, चाँद की कक्षा मे कोलंबिया में बैठकर एक व्यक्ति उनका पहले से इंतजार कर रहे थे फिर यह चांद की कक्षा में पहुंचकर कोलंबिया से जुड़ गया।


इसके बाद तीनों इंसान कमांड सेंटर कोलंबिया में पहुंच गए, अब ऐसेंट इंजन का भी कोई काम नही बचा था इसलिए धरती पर आने वाले मॉड्यूल का वजन कम करने के लिए ऐसेंट इंजन को भी वही छोड़ दिया गया।

इसके बाद मॉड्यूल इंजन को स्टार्ट किया गया और धरती की ओर बढ़ने लगे जिसके बाद यह धरती पर तेजी से नीचे आने लगे उसके बाद धरती के नजदीक आने पर इस मॉड्यूल में लगे तीन पैराशूट को खोलकर मॉड्यूल को प्रशांत महासागर में लैंड करा दिया गया जहां से उसे रेस्क्यू करके सही सलामत तीनों इंसान को वापस निकाल लिया गया।

इसी तकनीक द्वारा चीन ने भी अपना मून मिशन पूरा करके वापस अपने यान को धरती पर लैंड करा लिया था लेकिन इस मिशन में इंसानों को नहीं बल्कि रोबोट को भेजा गया था।

अब आपको बता थे भारत का chandrayaan-3, 23 अगस्त को चांद पर लैंड करेगा और वहां 14 दिन तक प्रयोग करेगा उसके बाद लैंडर और रोवर खुद वहीं पर निष्क्रिय हो जाएंगे और कभी वापस धरती पर नहीं आएंगे क्योंकि इसरो ने इसे वापस धरती पर लाने के लिए बनाया ही नहीं था क्योंकि इसरो का मुख्य उद्देश्य चंद्रयान को चांद पर भेज कर दोबारा धरती पर लाने का नहीं था अगर भविष्य में उसका यह उद्देश्य होगा तो वह अमेरिका की तरह अपने इस मिशन को पुरा करके वापस चंद्रयान को धरती पर ले आएगा।


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जैसे ही चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा के चारों ओर अपनी कक्षा मजबूत करता है, रूस शुक्रवार, 11 अगस्त, 2023 को 47 वर्षों में अपना पहला चंद्रमा-लैंडिंग अंतरिक्ष यान लॉन्च करने के लिए तैयार है। लूना-25 मिशन 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरने वाला है। , उसी दिन जब चंद्रयान-3 की लैंडिंग की योजना थी।लूना-25 चंद्रमा की सतह पर ऑक्सीजन की खोज करेगा. ताकि पानी बनाया जा सके.





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