अजमेर दरगाह शरीफ मे शीहाब चुत्तुर् से खादिम ने की बदसलूकी।

 शीहाब चुत्तुर् से खादिम ने कहा निकल जाओ दरगाह शरीफ  से बहार 

भारत के केरल राज्य से पैदल हज करने निकले शीहाब चुत्तुर् को आज पैदल सऊदी अरब तक के लिए सफर करते हुए 17 अगस्त 2022 को 77 दिन हो गए हैं। वह इस समय अजमेर शरीफ में अपना सफर तय कर रहे है। 




शीहाब रोज लगभग 25 किलो मीटर तक का पैदल चलकर सफर पूरा करते है उन्हे केरल से मक्का तक का सफर लगभग 8340 किलो मीटर तक तय करना है इस सफर को पूरा करने मे शीहाब को 1साल तक का समय लग सकता है। शीहाब अभी भारत में ही अपना सफर तय कर रहे हैं उन्हे पैदल चलते हुए अभी तक 77 दिन हो चुके हैं जिसमे वह लगभग 2000 किलो मीटर तक का सफर पूरा करके अब अजमेर शरीफ पहुंच गए है। 

क्या हुआ था जब शीहाब चुत्तुर् अजमेर शरीफ दरगाह के अंदर पहुंचे थे ? 

शीहाब जब अजमेर शरीफ में ख्वाजा गरीब नवाज़ की दरगाह पर हाजिरी देने पहुंचे थे तो दरगाह के खादिम ने शीहाब के साथ बतामीजी से बात की और शीहाब से कहा निकल जाओ दरगाह से बाहर। 

जिस वक़्त शीहाब ख्वाजा शाहब की दरगाह के अंदर दुआ मांग रहें थे तभी एक खादिम आता है और वो खादिम दुआ पढ़ते हुए शीहाब के सिर पर अपना हाथ जैसे ही रखता है तो शीहाब उसका हाथ पकड़ कर अपने सिर से हटा देते है जिसके बाद वह खादिम अपना हाथ शीहाब के कांधे पर रखता है तो शीहाब दोबारा उसका हाथ हटा देते है और कहते हैं मुझे दुआ मागने दो मै यहाँ दुआ मागने आया हु। शीहाब के हाथ हटाने से खादिम को गुस्सा आ जाता है और वह शीहाब से कहता है। इस दरगाह में मैं ही दुआ करवाता हु और अगर तुझे दुआ मांगनी है तो मै ही सिर पर हाथ रखूंगा। और खादिम गुस्से से शीहाब भाई से बतामीजी से कहता है कि अगर तुझे मेरे से दुआ नहीं मंगवानी है तो इस दरगाह से बाहर निकल जा। जिसके बाद शीहाब दरगाह से दुआ मांग कर बाहर निकल जाते हैं। 



शीहाब चुत्तुर् ने क्यो हटाया खादिम का हाथ अपने सिर से कौन होते हैं खादिम लोग? 

बता दे कि खादिम उन्हे कहा जाता है जो दरगाह पर रह कर दरगाह की देखभाल करते हैं। लेकिन अब ये खादिम लोग काफी जगह दरगाह पर अपनी मनमानी करते हैं और जो भी दरगाह में दुआ मांगने जाता है ये खादिम लोग जबरदस्ती दुआ मागने वालो के ऊपर चादर डाल देते है और दुआ बोलने लगते है जिसके बदले में ये खादिम लोग फिर लोगो से पैसे वसूलते है और जो लोग इन्हे पैसे नही देता है उन्हे ये सभी खादिम लोग बत्तमीजी से बात करते हुआ लोगो को दरगाह से बाहर भगा देते हैं। 

शीहाब भी जब दरगाह पर दुआ मागने गए थे तो अजमेर दरगाह के खादिम भी उनके ऊपर हाथ रखने की कोसिस करने लगा जिससे शीहाब ने गुस्से से उस खादिम का हाथ हटा दिया और कहा मुझे दुआ  मागने दो इस बात पर खादिम को गुस्सा आ जाता है और वह शीहाब से बत्तमीजी करने लगत है और शीहाब को दरगाह से निकल जाने को कहता है। 

शीहाब एक सच्चे मुसलमान है और वह इन खादिम लोगो पर विश्वास नही करते है कुछ लोग दरगाह पर जाते हैं तो सोचते है की जब खादिम उनके ऊपर चादर डालेगा तो ही दुआ काबूल होगी और वह इन खादिमो को चादर अपने ऊपर डालने के लिए पैसे भी दे देते है ताकि उनकी दुआ काबूल हो सके। लेकिन आपको बता दे ये सब गलत है आप लोग जब भी दरगाह पर जाए उस दरगाह के सदके बस अल्लाह से दुआ मांगे और इन जैसे खादिमो के चक्कर मे आकर अपना पैसा बर्बाद ना करे। शीहाब एक समझदार और पढ़े लिखे सच्चे मुसलमान है जो बस अल्लाह को मानते हैं जिस वजह से शीहाब ने खादिम को अपने ऊपर हाथ नही रखने दिया। 

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